आगर मालवा जिला (Agar Malwa District), मध्य प्रदेश — इतिहास, भूगोल और संस्कृति
जिला एक नजर (District at a Glance)
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क्षेत्रफल (Area): 2,785 वर्ग किलोमीटर
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जनसंख्या (Population 2011): 5,71,278
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लिंगानुपात (Sex Ratio): 949 महिलाएँ प्रति 1,000 पुरुष
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ग्रामीण-शहरी विभाजन: शहरी – 1,17,329; ग्रामीण – 4,53,949
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आम भाषा: हिंदी, मालवी
मध्य प्रदेश का भूगोल (Geography of Madhya Pradesh)
इतिहास
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प्रागैतिहासिक जमीन: क्षेत्र में रेड घाटी और आसपास के इलाकों में 4,000 वर्ष पुराने पुरातात्विक अवशेष मिले हैं।
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परमार काल: परमार काल में यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। कई मूर्तियां और कलात्मक अवशेष मिले हैं।
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मुगल काल: मुगलों के समय यह क्षेत्र “शब-ए-मालवा” (मालवा की रातें) नाम से प्रसिद्ध हुआ।
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जिला गठन: 16 अगस्त 2013 को आगर मालवा को स्वतंत्र जिले का दर्जा मिला; इससे पहले यह शाजापुर का हिस्सा था।
मध्य प्रदेश: इतिहास, संस्कृति और वन्य जीवन का अद्भुत संगम
प्रशासनिक ढांचा
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उप-विभाजन और तहसीलें: आगर, नलखेड़ा, बड़ोद, सुसनर
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ग्राम पंचायतें: कुल 227
मध्य प्रदेश की जीवन रेखाएँ: महत्वपूर्ण नदियाँ (Madhya Pradesh ki Jeevan Rekhaen: Important Rivers)
भूगोल एवं जलवायु
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पठार और बनावट: मालवा पठार का हिस्सा, जिसमें पहाड़ी और समतल क्षेत्र शामिल हैं।
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नदी और जल स्रोत: छोटी काली सिंध नदी और अनेक कुएँ, बोरिंग सिंचाई का मुख्य साधन हैं।
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वन क्षेत्र: लगभग 3.46 हेक्टेयर में फैले वन क्षेत्र, मुख्यतः सागौन और मिश्रित जंगल।
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जलवायु: गर्मियों में मई सबसे गर्म, मानसून जून से और जनवरी-फरवरी में सर्दी।
मध्य प्रदेश के प्रमुख बाँध: (Major Dams of Madhya Pradesh)
संस्कृति और भाषा
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भाषा: हिंदी और मालवी प्रमुख।
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भोजन: भुट्टा री कीस, चक्की री शाक, दाल-बाफला, अमली री कढ़ी, मालपुआ जैसे व्यंजन लोकप्रिय।
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लोक जीवन: लावणी लोकसंगीत और भिल समुदाय के नृत्य-संगीत यहाँ की सांस्कृतिक पहचान हैं।
पर्यटन स्थल
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बगलामुखी मंदिर (नलखेड़ा)
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बाबा बैजनाथ मंदिर
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चौसठ योगिनी मंदिर
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केवदास्वामी भैरवनाथ मंदिर
निष्कर्ष
आगर मालवा जिला सिर्फ एक प्रशासनिक इकाई नहीं बल्कि इतिहास, भूगोल, संस्कृति और लोक जीवन का सुंदर संगम है। यहाँ का प्राचीन इतिहास, प्राकृतिक बनावट और मालवी संस्कृति इसे मध्य प्रदेश के खास जिलों में एक अलग पहचान देता है।