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Srisailam Temple
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श्रीशैलम मंदिर: पहाड़ों के आंचल में भगवान शिव का आशीर्वाद

श्रीशैलम मंदिर: पहाड़ों के आंचल में भगवान शिव का आशीर्वाद (Srisailam Temple: Blessings of Lord Shiva Nestled in the Mountains)

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के कर्नूल जिले (Karnool district) में स्थित श्रीशैलम मंदिर (Srisailam Temple), भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। नर्मदा नदी के किनारे बसे इस खूबसूरत मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। आइए, हम डुबकी लगाते हैं श्रीशैलम मंदिर के पौराणिक कथाओं, धार्मिक महत्व और रोचक तथ्यों में।

पौराणिक कथा (Mythological Story)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती और भगवान शिव पुत्र प्राप्ति की इच्छा से पुत्र मोह में थे। भगवान शिव कार्तिकेय के रूप में पुत्र प्राप्ति के लिए दक्षिण चले गए, वहीं माता पार्वती स्कंद के रूप में पुत्र प्राप्ति के लिए उत्तर चली गईं। दोनों ही स्थानों पर भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ। दक्षिण में प्रकट हुए ज्योतिर्लिंग को मल्लिकार्जुन (शिव) और पार्वती को मल्लिका के नाम से जाना जाता है। इन्हीं दोनों के मिलन से बना श्रीशैलम का ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

धार्मिक महत्व (Religious Significance)

श्रीशैलम मंदिर 18 महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि पूर्णिमा के दिन माता पार्वती और अमावस्या के दिन भगवान शिव दर्शन के लिए आते हैं। इसलिए इन दिनों में मंदिर में दर्शन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

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रोचक तथ्य (Fun Facts)

  • श्रीशैलम मंदिर को “दक्षिण का कैलाश” भी कहा जाता है।
  • मंदिर परिसर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की भी मूर्तियां स्थापित हैं।
  • मंदिर तक पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ती है। आप चाहें तो नाव या फिर रोपवे का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • मंदिर के पास ही नारायणवनम भी स्थित है, जो भगवान विष्णु को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है।

श्रीशैलम मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व का संगम है। पहाड़ों से घिरा यह मंदिर शांति पाने और आध्यात्मिक अनुभव लेने के लिए एक आदर्श स्थान है। तो अगली बार जब आप दक्षिण भारत की यात्रा पर निकलें, तो श्रीशैलम मंदिर जाना न भूलें।