नागौर का इतिहास (History of Nagaur)
राजस्थान, वीरता की कहानियों और भव्य किलों की धरती, अपने एक और रत्न – नागौर को समेटे हुए है। थार मरुस्थल के किनारे बसा यह ऐतिहासिक शहर अपने समृद्ध इतिहास, भव्य वास्तुकला और जीवंत संस्कृति के लिए जाना जाता है। आइए, नागौर की खूबसूरत यात्रा पर निकलें:
प्रारंभिक इतिहास:
- नागौर का इतिहास(History of Nagaur) 6वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व का है, जब यह मद्र राज्य का हिस्सा था। बाद में, इस क्षेत्र पर मौर्य, गुप्त, प्रतिहार और चौहान वंशों का शासन रहा।
मुगल काल:
- 12वीं शताब्दी में, मुगलों के आगमन से पहले, नागौर को “अहिच्छत्रपुर” के नाम से जाना जाता था। 16वीं शताब्दी में, शेरशाह सूरी ने इस शहर पर विजय प्राप्त की और इसका नाम बदलकर नागौर कर दिया।
- बाद में, मुगल साम्राज्य के अधीन, नागौर एक महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र के रूप में विकसित हुआ।
मुगलों के बाद का इतिहास:
- मुगल साम्राज्य के कमजोर होने के साथ ही, मराठों और अंततः ब्रिटिश राज का उदय हुआ। 1818 में, नागौर ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बन गया।
नागौर की विरासत:
- नागौर अपने ऐतिहासिक स्थलों और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
- नागौर किला (Naguar Fort): यह विशाल किला 12वीं शताब्दी में बनाया गया था और राजस्थान के सबसे पुराने किलों में से एक है। किले के भीतर कई महल, मंदिर और मकबरे स्थित हैं।
- अहिच्छत्रगढ़ किला: माना जाता है कि यह किला 6वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व का है और प्राचीन मद्र राज्य की राजधानी था।
- जाखिर सूफी दरगाह: यह दरगाह 12वीं शताब्दी के सूफी संत शेख जाखिर की मजार है और हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक मानी जाती है।
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नागौर की संस्कृति:
- नागौर अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिए भी जाना जाता है।
- यहाँ का लोक संगीत और नृत्य, विशेष रूप से “मांगणीयर(Mangniyaar)” और “कामड़ी नृत्य (Kaamdi Dance),” काफी प्रसिद्ध हैं।
- नागौर अपने त्योहारों के लिए भी जाना जाता है, जिनमें मारवाड़ महोत्सव(Marwad Festival) और गणगौर महोत्सव(Gangaur Festival) शामिल हैं।
आज का नागौर:
- आज, नागौर एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल है। यह शहर इतिहास प्रेमियों, वास्तुकला के शौकीनों और संस्कृति के दीवाने लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।