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History of Chittorgarh Fort
Chittorgarh History Rajasthan

गौरवशाली है चित्तौडगढ के किले का इतिहास

चित्तौडगढ पुरे विश्व में अपने अद्भुत किले(Chittorgarh Fort) और अपने इतिहास(History) के लिए प्रसिद्ध है | अपनी भव्यता, वीरता और त्याग की कहानियों के लिए जाना जाता है। यह किला, जो मेवाड़ राज्य की राजधानी भी था, सदियों से कई राजवंशों और शासकों का गवाह रहा है |

प्रारंभिक इतिहास:

  • माना जाता है कि चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण 7वीं शताब्दी में चित्रांगद मौर्य ने करवाया था |
  • 8वीं शताब्दी में, गुहिलवंशी राजा बाप्पा रावल ने किले पर कब्जा कर लिया और इसे मेवाड़ राज्य की राजधानी बनाया |
  • 12वीं से 16वीं शताब्दी तक, चित्तौड़गढ़ कई राजवंशों के अधीन रहा, जिनमें परमार, सोलंकी, चौहान, और राणा शामिल हैं |

प्रमुख घटनाएं:

  • 1303 में, अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया | रानी पद्मिनी की कहानी इसी घटना से जुड़ी है |
  • 1568 में, मुगल सम्राट अकबर ने किले पर कब्जा कर लिया |
  • 16वीं शताब्दी में, महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष जारी रखा और चित्तौड़गढ़ को पुनः प्राप्त करने के लिए कई युद्ध लड़े |

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चित्तौड़गढ़ किले के प्रसिद्ध स्थल:

  • विजय स्तंभ: यह 9 मंजिला स्तंभ, 1448 में राव कुंभा द्वारा बनवाया गया था | यह स्तंभ चित्तौड़गढ़ के विजय और गौरव का प्रतीक है |
  • कीर्ति स्तंभ: यह स्तंभ, 12वीं शताब्दी में जयसिंह द्वारा बनवाया गया था | यह स्तंभ भगवान विष्णु को समर्पित है |
  • पद्मिनी महल: यह महल, रानी पद्मिनी के नाम से जाना जाता है | यह महल अपनी भव्यता और कलाकारी के लिए प्रसिद्ध है |
  • जौहर कुंड: यह कुंड, 1303 में रानी पद्मिनी और अन्य महिलाओं द्वारा किए गए जौहर का प्रतीक है |

आज का चित्तौड़गढ़:

  • आज, चित्तौड़गढ़ किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह किला अपनी भव्यता, वीरता और त्याग की कहानियों के लिए जाना जाता है |
  • सीमेंट उत्पादन में चित्तौडगढ भारत के प्रमुख जिलों में से एक है |
  • 2007 में, चित्तौड़गढ़ किले को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था |

कुछ रोचक बातें:

  • चित्तौड़गढ़ किला (Chittorgarh Fort) भारत के इतिहास(History) का सबसे बड़ा किला है |
  • किले में 7 प्रवेश द्वार हैं,
    • पैदल पोल: यह किले का मुख्य द्वार है, जो पैदल यात्रियों के लिए बनाया गया था।
    • भैरव पोल: यह द्वार भगवान भैरव को समर्पित है, जो किले के रक्षक देवता माने जाते हैं।
    • हनुमान पोल: यह द्वार भगवान हनुमान को समर्पित है, जो शक्ति और साहस के प्रतीक हैं।
    • गणेश पोल: यह द्वार भगवान गणेश को समर्पित है, जो बुद्धि और ज्ञान के देवता हैं।
    • जोरला पोल: यह द्वार ‘जोर’ और ‘ला’ शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘बलवान’।
    • लक्ष्मण पोल: यह द्वार भगवान लक्ष्मण को समर्पित है, जो भगवान राम के भाई और वीरता के प्रतीक हैं।
    • राम पोल: यह द्वार भगवान राम को समर्पित है, जो मर्यादा और आदर्श पुरुष का प्रतीक हैं।
  • किले में कई मंदिर, महल, और स्मारक हैं, जो चित्तौड़गढ़ के इतिहास और संस्कृति को दर्शाते हैं |

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