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History of Nathdwara
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अद्भुत है नाथद्वारा की धरती और इसका इतिहास

नाथद्वारा(Nathdwara): इतिहास(History) और आस्था का संगम

राजस्थान, अपने भव्य किलों, रंगीन संस्कृति और समृद्ध इतिहास(History) के लिए जाना जाता है, उसी में एक अनमोल रत्न है – नाथद्वारा(Nathdwara)। भगवान श्रीकृष्ण(Lord Krishna) को समर्पित इस शहर का इतिहास, धर्म और कला का एक अद्भुत संगम है। आइए, हम नाथद्वारा की यात्रा करें और इसके अतीत के बारे में जानें।

मूर्ति का आगमन:

नाथद्वारा का इतिहास 16वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब द्वारा मथुरा में स्थित भगवान श्रीकृष्ण की मूल मूर्ति को नष्ट करने के प्रयास के चलते, वल्लभ संप्रदाय के संस्थापक, श्री वल्लभाचार्य जी ने इस मूर्ति को वृन्दावन से राजस्थान लाने का निर्णय लिया। कई वर्षों तक यात्रा करने के बाद, बैलगाड़ी जिस पर मूर्ति थी, वह नाथद्वारा के पास एक स्थान पर रुक गई और आगे बढ़ने में असमर्थ रही। इसे भगवान की इच्छा के रूप में माना गया और यहीं पर एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।

श्रीनाथजी मंदिर:

नाथद्वारा का मुख्य आकर्षण, निस्संदेह, श्रीनाथजी का मंदिर है। यह मंदिर 17वीं शताब्दी में बनाया गया था और भगवान श्रीकृष्ण को “श्रीनाथजी” के रूप में दर्शाता है, जो सात वर्ष की आयु के बाल स्वरूप में हैं। मंदिर अपने दैनिक अनुष्ठानों और “सेवाओं” के लिए प्रसिद्ध है, जो भक्ति और कला का एक अद्भुत प्रदर्शन है।

पंथनिरपेक्ष आस्था का केंद्र:

नाथद्वारा सिर्फ हिन्दू धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी आस्था का केंद्र है। यहां हिन्दू, मुस्लिम और जैन समुदाय के लोग आपसी सद्भाव के साथ रहते हैं।

कला और संस्कृति का धरोहर:

नाथद्वारा अपनी समृद्ध कला और संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। “पिंगल शैली” की चित्रकला यहां विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसके अलावा, मीनाकारी कला, मूर्तिकला और वस्त्र उद्योग भी नाथद्वारा की पहचान हैं।

आज का नाथद्वारा:

आज नाथद्वारा एक प्रमुख तीर्थस्थल और पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान श्रीनाथजी के दर्शन का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, वहीं पर्यटक यहां के इतिहास, कला और संस्कृति को करीब से जानने का अवसर प्राप्त करते हैं।

नाथद्वारा का इतिहास धर्म, कला और संस्कृति का एक अनूठा मिश्रण है। यह शहर न केवल भगवान श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि राजस्थान की समृद्ध विरासत का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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