सोमनाथ का मंदिर: आस्था का अटूट धाम (Somnath Temple: An Eternal Abode of Faith)
गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित सोमनाथ का मंदिर (Somnath Temple), हिंदू धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है। भगवान शिव को समर्पित यह भव्य मंदिर, अपने आस्था के धाम होने के साथ-साथ इतिहास और स्थापत्य कला का भी एक अद्भुत संगम है। आइए, जानते हैं सोमनाथ मंदिर के गौरवशाली इतिहास और रहस्य के बारे में।
ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ (The First Among the Jyotirlingas)
हिंदू धर्म में, 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव के विभिन्न रूपों का प्रतीक माने जाते हैं। इन ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का मंदिर सर्वप्रथम माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रदेव (सोम) ने भगवान शिव की आराधना यहीं की थी, इसलिए इस स्थान का नाम “सोमनाथ” पड़ा।
इतिहास के झरोखों से (Through the Windows of History)
सोमनाथ मंदिर का इतिहास काफी लंबा और विवादित रहा है। माना जाता है कि महाभारत काल में राजा सोमदेव द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। इसके बाद कई शताब्दियों तक यह मंदिर समृद्ध होता रहा। लेकिन दुर्भाग्यवश, 11वीं से 18वीं शताब्दी के दौरान, सोमनाथ मंदिर पर कई बार हमले हुए, जिनमें से सबसे कुख्यात हमला 1025 ईस्वी में महमूद गजनी द्वारा किया गया था। मंदिर को कई बार तोड़ा गया और फिर से बनाया गया। अंततः भारत की स्वतंत्रता के बाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया।
स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण (A Matchless Example of Architecture)
सोमनाथ मंदिर का वर्तमान स्वरूप, चालुक्य शैली और गुजराती शैली के खूबसूरत मिश्रण को दर्शाता है। मंदिर परिसर में स्थित मुख्य मंदिर शिखर तक 1000 से अधिक खंभे हैं। मंदिर की दीवारों पर जटिल नक्काशी और मूर्तिकला का काम देखने लायक है। सोमनाथ मंदिर के परिसर में कई अन्य मंदिर और तीर्थस्थल भी स्थित हैं, जो इसकी भव्यता में चार चांद लगाते हैं।
श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र (A Center of Faith for Devotees)
सोमनाथ मंदिर, लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। साल भर देशभर से भक्त दर्शन के लिए यहां आते हैं। श्रावण मास में सोमनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अनुष्ठान होते हैं। यहां होने वाली “आरती” को देखना अपने आप में एक अद्भुत अनुभव है।
रोचक तथ्य (Interesting Facts)
- सोमनाथ मंदिर को “त्रिलोकी नाथ” (तीनों लोकों के स्वामी) के नाम से भी जाना जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो भूमध्य रेखा पर स्थित है।
- मंदिर के ध्वज स्तंभ की ऊंचाई 72 फीट है, जो सोमनाथ के 72 हज़ार ज्योतिर्लिंगों का प्रतीक है।
सोमनाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं है, बल्कि यह भारतीय इतिहास, संस्कृति और स्थापत्य कला का एक जीवंत प्रतीक है। यह मंदिर हमें अतीत की कहानियों को सुनने और आस्था की शक्ति का अनुभव करने का अवसर देता है।
3 COMMENTS