बूंदी रियासत का इतिहास (History of Bundi Kingdom)
राजस्थान की धरती वीरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जानी जाती है। उसी धरती पर स्थित है, बूंदी(Bundi) रियासत – जिसका इतिहास (History) शौर्य, कला और स्थापत्य की गाथा सुनाता है। आइए, आज हम इस रियासत के गौरवशाली इतिहास की एक झलक देखें।
स्थापना और शुरुआती शासन
बूंदी रियासत की स्थापना 1242 ईस्वी में महाराव देवा हाड़ा द्वारा की गई थी। ये चौहान वंश की हाड़ा शाखा से संबंधित थे। इनके शासनकाल में ही बूंदी किले की नींव रखी गई, जो आज भी बूंदी की शान माना जाता है।
मुगलकालीन संबंध
16वीं और 17वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के साथ बूंदी के संबंध उतार-चढ़ाव भरे रहे। राव राजा छत्र सिंह मुगल बादशाह शाहजहाँ के दरबार में एक सम्मानित व्यक्ति थे। उन्होंने दारा शिकोह का साथ दिया, जिसके कारण औरंगजेब के विद्रोह के दौरान उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
स्वतंत्रता संग्राम और विलय
18वीं और 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश साम्राज्य का प्रभाव बढ़ने लगा। बूंदी रियासत ने मराठों के साथ संघर्ष किया और अंततः 1818 ईस्वी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ सहायक संधि कर ली।
श्रीगंगानगर: रेगिस्तान में खिली फूल, इतिहास है गवाह
स्वतंत्र भारत में बूंदी
भारत के स्वतंत्र होने के बाद 1949 में बूंदी रियासत का विलय राजस्थान राज्य में हो गया। आज बूंदी अपना समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत संजोए हुए पर्यटन स्थल के रूप में विख्यात है।
बूंदी की धरोहर
बूंदी रियासत की धरोहर सिर्फ किलों और महलों तक सीमित नहीं है। यहाँ की हस्तशिल्प कला, विशेष रूप से मीनाकारी चित्रकला, विश्व प्रसिद्ध है। बूंदी चित्रशैली अपनी जीवंतता और भावपूर्ण चित्रण के लिए जानी जाती है।
Image Source : Rajasthan Tourism
1 COMMENTS