मेड़ता का इतिहास : मीराबाई का शहर (History of Merta: City of Meerabai)
राजस्थान के मध्य भाग में स्थित मेड़ता शहर (Merta City) अपने समृद्ध इतिहास (History) और धरोहर के लिए जाना जाता है। आज हम इस ऐतिहासिक नगरी की यात्रा पर चलते हैं और इसके गौरवशाली अतीत को जानने का प्रयास करते हैं.
प्राचीन काल से जुड़े धागे
इतिहासकारों के अनुसार, मेड़ता शहर का इतिहास काफी प्राचीन है। माना जाता है कि प्राचीन काल में इसका नाम “मार्तिकावत” था। इस दौरान यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा होगा।
राठौड़ वंश का शासन और मीराबाई का जन्मस्थान
15वीं सदी में मेड़ता शहर राठौड़ वंश के शासन में आया। राव वरसिंह और राव दूदा ने इसे अपनी राजधानी बनाया। यही वह काल है जब प्रसिद्ध कृष्ण भक्त कवयित्री मीराबाई का जन्म मेड़ता में हुआ था। मीराबाई के जीवन से जुड़ा हुआ माना जाने वाला “मीरा महल” आज भी मेड़ता में मौजूद है।
युद्धों का गवाह – राव दुदा का गढ़ और मालकोट दुर्ग
मेड़ता शहर कई युद्धों का गवाह भी रहा है। राव दुदा गढ़ इसी कालखंड का एक महत्वपूर्ण स्मारक है। इसके अलावा, दक्षिण दिशा में कुण्डल सरोवर के किनारे स्थित मालकोट दुर्ग भी मेड़ता के गौरवशाली इतिहास को बयां करता है। यह जल दुर्ग मुगलों के खिलाफ हुए युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
अकबर का विजय अभियान और मुगल स्थापत्य
16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह अकबर ने मेड़ता पर विजय प्राप्त की। इस दौरान उसने यहां एक मस्जिद का निर्माण भी करवाया। हालांकि, मुगल शासन के बाद मेड़ता का महत्व कम होता गया।
राजसमंद जिला: खूबसूरती और इतिहास का संगम
वर्तमान मेड़ता – इतिहास और आधुनिकता का संगम
आज मेड़ता शहर इतिहास और आधुनिकता के खूबसूरत संगम को प्रदर्शित करता है। यहां प्राचीन स्मारकों के साथ-साथ आधुनिक बाजार और सुविधाएं भी मौजूद हैं। मेड़ता आने वाले पर्यटक ऐतिहासिक स्थलों को देखने के साथ-साथ स्थानीय बाजारों की सैर और राजस्थानी संस्कृति का आनंद भी ले सकते हैं।
भविष्य की राह पर अग्रसर
मेड़ता शहर अपने गौरवशाली इतिहास को संजोए हुए भविष्य की तरफ अग्रसर है। पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि लोग इस ऐतिहासिक नगरी के धरोहर को देख सकें और समझ सकें।
तो, अगली बार जब आप राजस्थान घूमने का प्लान बनाएं, तो मेड़ता शहर को अपनी यात्रा कार्यक्रम में जरूर शामिल करें। यह शहर आपको इतिहास के रोमांचक सफर पर ले जाएगा।