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Lord Parshuram
History

भगवान परशुराम: एक महान योद्धा और ऋषि

भगवान परशुराम: एक महान योद्धा और ऋषि (Lord Parshuram: The Legendary Warrior Sage)

भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में भगवान परशुराम का एक विशेष स्थान है। वे विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं और उनकी कहानी भारतीय महाकाव्यों और पुराणों में वर्णित है। आज हम इस महान योद्धा और गुरु के बारे में सरल भाषा में जानेंगे।

परशुराम का जन्म और परिवार

भगवान परशुराम (Lord Parshuram) का जन्म त्रेता युग में हुआ था। उनके पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका थीं। परशुराम का असली नाम ‘राम’ था, लेकिन उनके पास हमेशा एक फरसा (कुल्हाड़ी) रहता था, इसलिए उन्हें ‘परशुराम’ कहा गया।

परशुराम की शिक्षा और गुरुकुल

परशुराम ने अपने पिता और अन्य ऋषियों से वेद और शस्त्रों की शिक्षा प्राप्त की। वे महर्षि विश्वामित्र और महर्षि ऋचीक के शिष्य थे। उन्होंने कठोर तपस्या और अध्ययन के माध्यम से दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया।

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सहस्रार्जुन का वध

भगवान परशुराम का सबसे प्रसिद्ध कथा सहस्रार्जुन से जुड़ा है। सहस्रार्जुन एक शक्तिशाली और अत्याचारी राजा था, जिसने परशुराम के पिता, ऋषि जमदग्नि की हत्या कर दी थी। अपने पिता की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए, परशुराम ने सहस्रार्जुन और उसकी सेना को मार गिराया।

क्षत्रिय वंश का नाश

अपने पिता की हत्या से आहत होकर, परशुराम ने प्रतिज्ञा की कि वे पृथ्वी से अधर्मी क्षत्रियों का नाश करेंगे। उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियों से मुक्त किया। उनके इस कार्य से उन्होंने न्याय और धर्म की स्थापना की।

परशुराम और भगवान राम

भगवान परशुराम की मुलाकात भगवान राम से भी हुई थी। जब भगवान राम ने शिवजी का धनुष तोड़ा, तब परशुराम ने उनकी परीक्षा ली। भगवान राम की शक्ति और धर्मपरायणता से प्रभावित होकर, परशुराम ने उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।

गुरु परशुराम

भगवान परशुराम न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि वे एक महान गुरु भी थे। उन्होंने भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महायोद्धाओं को शिक्षा दी थी। उनकी शिक्षा और ज्ञान ने इन योद्धाओं को महाभारत के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाया।

भगवान परशुराम की उपासना

आज भी भगवान परशुराम की पूजा और आराधना की जाती है। उनकी जयंती, जिसे ‘परशुराम जयंती’ कहा जाता है, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना करते हैं।

निष्कर्ष

भगवान परशुराम का जीवन और उनकी शिक्षाएँ हमें धर्म, न्याय, और साहस की प्रेरणा देती हैं। वे न केवल एक योद्धा थे, बल्कि एक आदर्श गुरु और धर्मरक्षक भी थे। उनके जीवन से हम सीख सकते हैं कि सत्य और न्याय के लिए संघर्ष करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

भगवान परशुराम को नमन!

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