चार धाम यात्रा का मुकुटमणि: केदारनाथ धाम (The Crown Jewel of the Char Dham Yatra: Kedarnath Temple)
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple), भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, उत्तराखंड (Uttarakhand) के रुद्रप्रयाग जिले (Rudraprayag District) में स्थित है. हिमालय (Himalayas) की बर्फ से ढकी चोटियों के बीच बसा ये भव्य मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता रहा है. आइए, जानते हैं केदारनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में कुछ रोचक बातें:
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पौराणिक कथा:
- मान्यता है कि महाभारत (Mahabharat) युद्ध के बाद पांडवों (Pandava) को अपने किए गए कर्मों का पछतावा हुआ. पापमुक्ति पाने के लिए वे भगवान शिव की शरण में गए. भगवान शिव (Lord Shiva) उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे एक बैल का रूप धर कर भाग गए. पांडवों ने उन्हें पहचान लिया और उनका पीछा किया. अंततः केदारनाथ में भगवान शिव पृथ्वी के अंदर समा गए.
- पांडवों ने उनकी पीठ का भाग ही पकड़ पाए थे, वही आज केदारनाथ मंदिर में विराजमान है.
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मंदिर का निर्माण:
- ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पांडवों या उनके वंशज जन्मेजय ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था.
- एक और मत के अनुसार, आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. उनकी समाधि भी मंदिर के पीछे स्थित है.
- वास्तु कला की दृष्टि से मंदिर कात्याल शैली में बना हुआ है.
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समय की धारा में:
- सदियों से केदारनाथ मंदिर का सामना कई प्राकृतिक आपदाओं का भी हुआ है.
- भारी हिमपात के कारण मंदिर कई बार बर्फ में दबा भी चुका है.
- वर्तमान मंदिर का निर्माण 11वीं या 12वीं शताब्दी के आसपास का माना जाता है.
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यात्रा का महत्व:
- केदारनाथ मंदिर हिमालय की गोद में स्थित होने के कारण दुर्गम क्षेत्र में है.
- हर साल श्रद्धालुओं की कठिन चढ़ाई के बाद केदारनाथ धाम के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है.
- केदारनाथ मंदिर चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है.
आज भी केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के अनन्य भक्तों को अपनी ओर खींचता है.
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