डूंगरपुर: इतिहास के धरोहरों को समेटे हुए वीरता की धरती (History of Dungarpur)
डूंगरपुर(Dungarpur), राजस्थान का एक रमणीय शहर है, जो अपनी समृद्ध संस्कृति, वीरतापूर्ण इतिहास(History) और प्राचीन वास्तुकला के लिए जाना जाता है। आइए, हम इस ऐतिहासिक नगरी की यात्रा करें और इसके अतीत के बारे में जानें।
प्रारंभिक इतिहास:
डूंगरपुर के इतिहास के प्रारंभिक चरणों के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, माना जाता है कि इस क्षेत्र में मानव सभ्यता का प्रमाण हजारों वर्ष पुराना है।
गुहिल राजवंश का शासन:
13वीं शताब्दी में मेवाड़ के गुहिल राजवंश के रावल वीर सिंह द्वारा डूंगरपुर की स्थापना की गई थी। उन्होंने एक भील सरदार डूंगरिया को हराकर इस क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित किया और शहर का नाम उनके नाम पर ही रखा गया। इसके बाद, लगभग 500 वर्षों तक डूंगरपुर गुहिल राजवंश के शासन में रहा। इस दौरान, कला, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई।
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मुगल और मराठा काल:
16वीं शताब्दी के अंत में मुगल साम्राज्य के उदय के साथ, डूंगरपुर मुगलों के अधीन आ गया। हालांकि, मुगल शासन काल में भी डूंगरपुर के शासकों ने अपनी स्वायत्तता काफी हद तक बचाए रखी। 18वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य के उदय के साथ, डूंगरपुर मराठों के प्रभाव में भी आया।
ब्रिटिश शासन और स्वतंत्रता:
19वीं शताब्दी में, डूंगरपुर अंग्रेजों की अधीनता में आ गया और एक रियासत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बन गया। हालांकि, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत की स्वतंत्रता के साथ, डूंगरपुर को भारतीय संघ में शामिल कर लिया गया।
डूंगरपुर की विरासत:
डूंगरपुर अपनी समृद्ध विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यहां 13वीं शताब्दी में निर्मित जूना महल, 17वीं शताब्दी का बादल महल और 18वीं शताब्दी का उदय विलास महल जैसे ऐतिहासिक किले और महल देखने को मिलते हैं। इसके अलावा, यहां शिव मंदिर, वैष्णव मंदिर और जैन मंदिर सहित कई धार्मिक स्थल भी स्थित हैं, जो डूंगरपुर की धार्मिक परंपरा की झलक देते हैं।
डूंगरपुर का इतिहास वीरता, सांस्कृतिक समृद्धि और स्थापत्य कला का अद्भुत संगम है। यह शहर पर्यटकों को प्राचीन वास्तुकला, समृद्ध इतिहास और राजस्थानी संस्कृति का अनुभव प्रदान करता है।
Image Source : Rajasthan Tourism