जयपुर(Jaipur) राजस्थान का बहुत ही सुन्दर शहर है, उतना ही सुन्दर यहाँ का इतिहास(History) भी है| भारत की स्वतंत्रता के बाद राजस्थान की राजधानी बना जयपुर, जिसको गुलाबी शहर के नाम से भी जाना जाता है | जयपुर अपने सौंदर्य, इतिहास और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है । जयपुर शहर को जय सिंह द्वितीय (Jai Singh II) ने बसाया था, उन्ही के नाम पर इस शहर को जयपुर नाम दिया गया । इससे पूर्व कछवाहा वंश आमेर(Amer) में राज करता था | जयपुर के 294 साल के इतिहास में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, जिसने आज के आधुनिक महानगर को आकार दिया है |
स्थापना और विकास :
18वीं शताब्दी की शुरुआत में, आमेर की राजधानी अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित होने के कारण राजनीतिक रूप से असुरक्षित हो गई थी । जय सिंह द्वितीय, जो एक दूरदर्शी शासक थे, एक नए शहर की स्थापना करना चाहते थे जो सामरिक रूप से मजबूत और आर्थिक रूप से समृद्ध हो। वर्ष 1727 में, ज्योतिषियों और वास्तुकारों के परामर्श से जय सिंह ने जयपुर की नींव रखी । शहर को एक विशिष्ट ग्रिड प्रणाली पर बनाया गया था, जो उस समय एक क्रांतिकारी विचार था । शहर की दीवारों और किलेबंदियों ने इसे बाहरी हमलों से बचाया ।
वास्तुकला और नगर नियोजन :
जयपुर (Jaipur), जिसे “गुलाबी नगर (Pink City)” के नाम से भी जाना जाता है, अपने अनूठे गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर की इमारतों के लिए प्रसिद्ध है । यह परंपरा जय सिंह की दूरदर्शिता का परिणाम थी, जिन्होंने शहर की सभी ईमारतों को एक समान रंग से रंगने का आदेश दिया था। इससे न केवल शहर को एक खास पहचान मिली, बल्कि इमारतों को सूरज की तेज रोशनी से बचाने में भी मदद मिली । शहर का लेआउट वैदिक वास्तुकला के सिद्धांतों पर आधारित था, जिसमें नौ खंड (चौपड़ियाँ) थे, जिन्हें आगे 36 उप-खंडों (मोहल्लों) में विभाजित किया गया था । शहर में चौड़ी सड़कें, बगीचे और जलाशय जैसी सुविधाएं शामिल थीं, जो उस समय के लिए अत्याधुनिक थीं ।
सांस्कृतिक और साहित्यिक केंद्र:
जयपुर न केवल एक राजनीतिक और आर्थिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ, बल्कि कला, संस्कृति और साहित्य का भी प्रमुख केंद्र बन गया । जयपुर का इतिहास (History of Jaipur) इस बात को सिद्ध करता है की यहाँ सांस्कृतिक गतिविधियों का बोलबाला रहा है | राजाओं के संरक्षण में, जयपुर चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत और नृत्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। जयपुर की हवेलियां अपनी स्थापत्य कला और कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध हैं । 19वीं सदी में, जयपुर साहित्य और प्रकाशन का भी प्रमुख केंद्र बन गया। यहां कई महत्वपूर्ण पुस्तकालयों की स्थापना हुई और हिंदी साहित्य के कई जाने-माने लेखक जयपुर से जुड़े रहे ।
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ब्रिटिश राज और स्वतंत्रता के बाद:
19वीं शताब्दी में, जयपुर ब्रिटिश राज के तहत एक रियासत बन गया । हालांकि, रियासत के शासकों ने एक हद तक अपनी स्वायत्तता बनाए रखी और शहर का विकास जारी रहा। स्वतंत्रता के बाद, जयपुर राजस्थान की राजधानी बना और तेजी से विकास हुआ । आज, जयपुर एक प्रमुख पर्यटन केंद्र, आईटी हब और शिक्षा का केंद्र है। यह शहर अपने समृद्ध इतिहास और जीवंत संस्कृति को आधुनिक सुविधाओं के साथ संतुलित करने में सफल रहा है ।
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