प्रतापगढ़ का इतिहास और कुछ महत्वपूर्ण तथ्य (History of Pratapgarh and important facts)
राजस्थान के दक्षिण में एक शहर है प्रतापगढ़(Pratapgarh) जिसका इतिहास(History) भी कई साल पुराना है | प्रतापगढ़ राजस्थान का एक जिला(District) है, जिसकी स्थापना 26 जनवरी 2008 को हुई थी । इस क्षेत्र का एक समृद्ध इतिहास है, जो सदियों पहले का है । प्रतापगढ़ के राजघराने का सम्बन्ध मेवाड़ राजवंश से रहा है |
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प्रारंभिक इतिहास
माना जाता है कि प्रतापगढ़ (Pratapgarh) का शाही इतिहास(Royal History) 14वीं शताब्दी में मेवाड़ के गुहिल वंश(Guhil Dynasty) से जुड़ा हुआ है। किंवदंती के अनुसार, महाराणा कुंभा (Maharana Kumbha) (1433-1468 ईस्वी), चित्तौड़गढ़(Chittorgarh) के शक्तिशाली शासक, अपने चचेरे भाई क्षेम सिंह (क्षेमकर्ण) के साथ किसी संपत्ति विवाद को लेकर असहमत थे। गुस्से में उन्होंने क्षेम सिंह को चित्तौड़गढ़ से निर्वासित कर दिया। क्षेम सिंह अपने परिवार के साथ अरावली पहाड़ियों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए।
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1514 ईस्वी में, क्षेम सिंह के पुत्र, राजकुमार सूरजमल, देवलिया (जिसे देवगढ़(Devgarh) भी कहा जाता है) के शासक बने। उन्होंने वर्तमान प्रतापगढ़ शहर से लगभग 10 किमी पश्चिम में कंठल देश की अपनी राजधानी स्थापित की । यह एक छोटा सा शहर था, लेकिन पुराने मंदिर, कब्रें, एक ऐतिहासिक महल और प्रतापगढ़ के शासन के अन्य अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।
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प्रतापगढ़ रियासत की स्थापना
1698 ईस्वी में, सूरजमल के वंशज, राजकुमार प्रताप सिंह ने देवगढ़ के वातावरण को शाही परिवार के लिए उपयुक्त नहीं पाया। इसलिए, उन्होंने देवगढ़ के पास एक नया शहर बसाया और इसका नाम प्रतापगढ़ रखा। यही वह जगह है जहाँ से प्रतापगढ़ रियासत की नींव रखी गई थी।
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प्रतापगढ़ के शासकों ने सदियों से इस क्षेत्र पर राज किया। उन्होंने कई किलों और महलों का निर्माण किया, जिनमें से कुछ आज भी खड़े हैं। वे कला और संस्कृति के संरक्षक भी थे, और उन्होंने इस क्षेत्र में कई मंदिरों का निर्माण किया।
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बाद का इतिहास
18वीं और 19वीं शताब्दी में, प्रतापगढ़ रियासत मराठों और ब्रिटिशों के प्रभाव में आई। मराठों ने कुछ समय के लिए इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया, लेकिन बाद में इसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने अधीन कर लिया।
भारत की स्वतंत्रता के बाद, प्रतापगढ़ रियासत का विलय भारत में हो गया। 2008 में, इसे राजस्थान का 33वां जिला बनाया गया।
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आज का प्रतापगढ़
आज प्रतापगढ़ एक समृद्ध इतिहास और संस्कृति वाला एक जिला है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है, जिसमें अरावली पहाड़ियों की ऊंची चोटियां और जंगल शामिल हैं। जिले में कई किले, महल, मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल हैं।
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यहाँ तक कैसे पहुचें
प्रतापगढ़ सड़क मार्ग से लगभग सभी राज्यों से जुड़ा हुआ है | यहाँ का समीपस्थ रेलवे स्टेशन मंदसौर (मध्य प्रदेश) है, जो की यहाँ से लगभग 35 किलोमीटर की दुरी पर है | यहाँ से उदयपुर हवाई अड्डे की दुरी करीब 160 किलोमीटर है |
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