कुंभलगढ़: अजेय दुर्ग और शानदार इतिहास (Kumbhalgarh: History)
राजस्थान, वीरता की कहानियों और भव्य किलों का प्रदेश, एक ऐसे अद्भुत दुर्ग का घर है जिसे “कुंभलगढ़” के नाम से जाना जाता है। अरावली पर्वतमाला की ऊंची चोटियों पर स्थित, यह किला अपनी मजबूती, विशालता और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।
महाराणा कुंभा की विरासत:
15वीं शताब्दी में निर्मित, कुंभलगढ़ का निर्माण मेवाड़ के शक्तिशाली शासक महाराणा कुंभा (Maharana Kumbha) द्वारा करवाया गया था। उन्होंने इसे मेवाड़ की रक्षा के लिए एक अभेद्य किले के रूप में बनवाया था।
किले की दीवारें इतनी मजबूत और विशाल हैं कि उन्हें “भारत की महान दीवार (Great Wall of India)” भी कहा जाता है। इसकी लंबाई 36 किलोमीटर है, जो इसे दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार बनाती है।
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कमाल की संरचनाएं:
कुंभलगढ़ किले में कई महल, मंदिर, और अन्य संरचनाएं देखने को मिलती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- बादल महल: बादलों को छूने वाला यह महल अपनी खूबसूरती और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
- नीलकंठ महादेव मंदिर: भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर 15वीं शताब्दी का है और इसमें एक विशाल शिवलिंग है।
- रणबांक माता मंदिर: इस मंदिर में माता दुर्गा की एक प्रतिमा स्थापित है, जिसे युद्ध में विजय दिलाने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।
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इतिहास के झरोखे से:
कुंभलगढ़ किला (Kumbhalgarh Fort) मेवाड़(Mewar) के इतिहास(History) का गवाह रहा है। अकबर के शासनकाल के दौरान भी यह किला कभी भी नहीं जीता गया। बाद में, इस किले को महाराणा प्रताप की जन्मस्थान के रूप में भी जाना जाता है।
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आज का कुंभलगढ़:
आज कुंभलगढ़ किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां आने वाले पर्यटक न केवल किले की भव्यता का आनंद लेते हैं, बल्कि आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य का भी अनुभव करते हैं। कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य भी किले के पास स्थित है, जहां बाघ, तेंदुआ और विभिन्न प्रकार के पक्षी देखने को मिलते हैं।
तो अगर आप इतिहास, वास्तुकला और रोमांच से भरपूर यात्रा की तलाश में हैं, तो कुंभलगढ़ किला आपके लिए एक आदर्श स्थान हो सकता है!