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Nalanda University
Bihar History India

नालंदा विश्वविद्यालय का विनाश

🔥 जब 3 महीने तक जलती रही किताबें – नालंदा विश्वविद्यालय का विनाश (The Burning of Nalanda University – When Books Burned for 3 Months! ) 🔥

“अगर तुम भारत को हराना चाहते हो, तो पहले इसके ज्ञान को जलाना होगा!”
यह कथन मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी (Bakhtiyar Khilji attack) की मानसिकता को दर्शाता है, जिसने दुनिया के सबसे बड़े शिक्षा केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) को राख में बदल दिया। यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारत की बौद्धिक विरासत का केंद्र था, जिसे 1193 ईस्वी में बेरहमी से नष्ट कर दिया गया।

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📜 नालंदा विश्वविद्यालय: प्राचीन भारत की शान

स्थापना: 5वीं शताब्दी में गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम (450-470 ई.) ने की थी।
महत्व: दुनिया का पहला रिहायशी विश्वविद्यालय, जहां 10,000 से ज्यादा छात्र और 2,000 शिक्षक थे।
कहाँ था? बिहार के वर्तमान नालंदा जिले में।
विशेषताएँ:

  • बड़े पुस्तकालय (जिसे “धर्मगंज” कहा जाता था), जिसमें लाखों पांडुलिपियाँ थीं।
  • चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत, फारस और ग्रीस से छात्र पढ़ने आते थे।
  • आर्यभट्ट, चाणक्य, नागार्जुन जैसे महान विद्वानों का अध्ययन और शोध केंद्र था।
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🔥 कैसे हुआ नालंदा का विनाश?

🔪 1. मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी का हमला (Bakhtiyar Khilji attack) (1193 ई.)

मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी, दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के अधीन एक क्रूर सेनापति था। उसका मुख्य उद्देश्य उत्तर भारत में इस्लामिक विस्तार करना था।

👉 उसने बिहार और बंगाल पर आक्रमण किया और जब उसने सुना कि नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध और हिंदू विद्वान मौजूद हैं, तो उसने इसे बर्बाद करने की योजना बनाई।

🔥 2. विश्वविद्यालय को जलाने की साजिश

  • खिलजी ने अपनी सेना के साथ नालंदा विश्वविद्यालय पर हमला किया।
  • उसने हजारों बौद्ध भिक्षुओं, शिक्षकों और छात्रों को बेरहमी से मार दिया।
  • सबसे बड़ी तबाही तब हुई जब “धर्मगंज” पुस्तकालय में आग लगा दी गई।

📚 3. किताबें जो तीन महीने तक जलती रहीं!

  • कहा जाता है कि नालंदा के पुस्तकालय में इतनी किताबें और पांडुलिपियाँ थीं कि वे लगातार तीन महीने तक जलती रहीं।
  • इनमें विज्ञान, गणित, चिकित्सा, खगोलशास्त्र, राजनीति और आध्यात्म से जुड़ीं अनमोल किताबें थीं।
  • खिलजी ज्ञान और बौद्ध धर्म से नफरत करता था, इसलिए उसने जानबूझकर इस जगह को नष्ट किया।
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❓ क्यों जलाया गया नालंदा विश्वविद्यालय?

1. बौद्ध धर्म का विनाश:
खिलजी इस्लामिक कट्टरता में विश्वास करता था। उसे लगा कि अगर वह बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के शिक्षा केंद्रों को नष्ट कर देगा, तो लोग इस्लाम को अपनाने लगेंगे।

2. सैन्य उपलब्धि दिखाना:
वह चाहता था कि उसकी विजय को दिल्ली सल्तनत में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जाए। नालंदा की तबाही ने उसकी क्रूरता को और बढ़ाया।

3. भारतीय ज्ञान का अंत करना:
भारत ज्ञान और शिक्षा का केंद्र था। इस विश्वविद्यालय को खत्म करके, वह भारतीय संस्कृति और ज्ञान पर हमला करना चाहता था।

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🏛️ क्या नालंदा फिर से बना?

नालंदा का पुनर्निर्माण हुआ, लेकिन मुगल काल और ब्रिटिश राज के दौरान इसे पूरी तरह से भुला दिया गया।
✔ 2010 में, भारत सरकार ने “नालंदा विश्वविद्यालय” को फिर से स्थापित करने का फैसला किया।
✔ 2014 में, नया नालंदा विश्वविद्यालय बिहार में शुरू हुआ, लेकिन पुरानी नालंदा जैसी बात अब नहीं रही।

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🔎 निष्कर्ष: इतिहास से क्या सीखें?

🔥 “पुस्तकें जल सकती हैं, लेकिन ज्ञान कभी नहीं!”
✔ नालंदा सिर्फ एक विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि भारत की बुद्धिमत्ता, नवाचार और संस्कृति का प्रतीक था।
✔ खिलजी और उसके जैसे आक्रमणकारी भले ही इमारतों को जला दें, लेकिन भारतीय सभ्यता के ज्ञान को खत्म नहीं कर पाए।

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