राजस्थान के जंगलों में रामायण का स्पर्श: सीता माता वन्यजीव अभयारण्य
राजस्थान के जंगलों में रामायण का स्पर्श: सीता माता वन्यजीव अभयारण्य ( Touch of Ramayana in the forests of Rajasthan: Sita Mata Wildlife Sanctuary)
क्या आप जानते हैं कि राजस्थान के जंगलों में रामायण से जुड़ा एक खास वन्यजीव अभयारण्य है? जी हां, सीता माता वन्यजीव अभयारण्य का नाम ही रामायण की सीता माता के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि वनवास के दौरान माता सीता कुछ समय इसी अभयारण्य में रहीं थीं।
यह अभयारण्य प्रकृति प्रेमियों और धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए एकदम सही जगह है। चलिए, इस वन्यजीव अभयारण्य की खूबसूरती और खासियतों के बारे में थोड़ा और जानते हैं।
वन्यजीवों का घर
सीता माता वन्यजीव अभयारण्य (Sita Mata Wildlife Sanctuary) ना सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यहां आपको विविध प्रकार के वन्यजीव भी देखने को मिल जाएंगे। इस अभयारण्य में चीतल, सांभर, चौसिंघा हिरण, सियार और लंगूर जैसे कई जानवर पाए जाते हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए भी यह स्वर्ग है। यहां 300 से भी ज्यादा प्रजातियां के पक्षी पाए जाते हैं।
मजेदार तथ्य
- इस अभयारण्य में एक विशाल बरगद का पेड़ है, जिसके बारे में माना जाता है कि माता सीता इसके नीचे रहीं थीं।
- कहा जाता है कि लव और कुश ने इसी वन में हनुमान जी को पेड़ से बांधा था।
- सीता माता मंदिर के साथ ही यहां लव-कुश की जन्मभूमि और महर्षि वाल्मीकि का आश्रम भी है।
अभयारण्य घूमने का सही समय
अगर आप सीता माता वन्यजीव अभयारण्य घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो मानसून के बाद का समय सबसे उपयुक्त है। इस दौरान हरियाली अपने चरम पर होती है और झीलें भी भरपूर पानी से लबालब रहती हैं।
तो देर किस बात की? प्रकृति की खूबसूरती का आनंद लेने और रामायण से जुड़े स्थानों को देखने के लिए सीता माता वन्यजीव अभयारण्य की यात्रा जरूर करें।